बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

ब्रेकिंग न्यूज़

वैधानिक चेतावनी - यह व्यंग नही कहानी है l
नमस्कार दर्शको आपका स्वागत है हमारे न्यूज़ चैनल सिटी न्यूज़ पर I जहाँ हम आपको दिखाते है देश, दुनिया, खेल और मनोरंजन की बड़ी खबरें l
मैं हूँ आपका एंकर भभूत मिश्र और आप देख रहे है हमारी विशेष प्रस्तुति सनसनी शहर l
दर्शको अभी आप अपने टीवी स्क्रीन पर देख रहे है सनसनीखेज ब्रेकिंग न्यूज़ I ये न्यूज़ छन कर आ रही है हरामगंज में स्थित मिठाईवाला रेस्तरां के सामने से......
तो दिल थाम कर बैठिये ये खबर आपकी धड़कने बढा देगी, आपकी सांसे रोक देगी ( एंकर ने डराने वाले अंदाज़ में कहा ) l हम आपको दिखाने जा रहे है एक लड़की का चीरहरण जो सरेआम हरामगंज के मुख्य सड़क पर हो रहा है और इसे अंजाम दे रहे है तो बदमाश से दिखने वालें युवक और इस घटना को देखने के लिए सड़क पर काफी भीड़ जमा है l
तो आइये चलते है हम आपको लेकर चलते है इस घटना की पूरी जानकारी देने के लिए अपने संवाददाता के पास जो अभी भी उस भारी भीड़ में बड़ी बहादुरी के साथ इस समय घटनास्थल पर मौजूद है और आप तक पल पल की खबर और सजीव विडियो भेज रहे है l
भभूत संवाददाता से - लाल अभी वहाँ के क्या हालात है ? अभी तक वहाँ पुलिस पहुंची है या नहीं ! और आम जनता की क्या प्रतिक्रिया है इस घटना पर l जनता में आक्रोश है या नहीं ?
संवाददाता - देखिये सर आम जनता बहुत ही उतेजित और रोमांचित है लेकिन हालात अभी नियंत्रण में है l मैंने भीड़ की राय जानने की कोशिश की है, खैर मैं इस बारे में बाद में बताऊँगा पहले पूरी घटना विस्तार से बताता हूँ l
जैसा की आप देख रहे है अभी वो बदमाश जो नशे में धुत हैं उस लड़की के कपडे फाड़ने की कोशिश कर रहे है l
रही बात पुलिस की तो यहाँ से निकटतम पुलिस थाना महज़ १ किलोमीटर पर स्थित है लेकिन पुलिस अभी भी यहाँ नहीं पहुंची है l
भभूत - लाल आपको क्या लगता है की उस लड़की के साथ बलात्कार होने की कोई संभावना है ( एंकर मुस्कुराते हुए ) या ये भी
राखी सावंत की तरह पब्लिसिटी कर रही है l अभी तक ये पता चला या नहीं की इस घटना के पीछे कौन सा गिरोह सक्रिय है l क्या उन गुंडों के पास हथियार वगैरह भी है ?
संवाददाता- सर, फिलहाल तो बलात्कार की कोई संभावना नहीं है क्योंकि वो दोनों नशे में धुत है....... l जैसे की अपुष्ट खबर छन के आ रही है की पीड़ित लड़की कॉलगर्ल है और इन सबके बीच पैसे के बंटवारे को लेकर झगडा हो रहा है और रही बात हथियार की तो लगता है की उन दोनों के पास पाकिस्तान का बना हुआ पिस्टल है जो उनके जेब से बाहर झाँक रहा है l
भभूत- धन्यवाद लाल, हम अभी आपके पास दुबारा लौटेंगे......
दर्शको आप देख रहे है हरामगंज एक लड़की का चीरहरण l आप हमारे साथ बने रहिये, हम अभी हाज़िर होते है इक छोटे से ब्रेक के बाद l
आप इस चीरहरण की सनसनीखेज विडियो का लाइव प्रसारण देख सकते है सिर्फ सिर्फ हमारे चैनल पर l
ब्रेक के बाद ----
भभूत - ब्रेक के बाद आपका स्वागत है और आप देख रहे है हरामगंज की मुख्या सड़क पर एक कॉलगर्ल के साथ हो रहे चीरहरण ( इस बार समाचार प्रस्तोता का स्वर बदल गया ) की सनसनीखेज तस्वीरें सिर्फ और सिर्फ हमारे चैनल पर l
तो चलिए हम वापस ले कर चलते है आपने संवाददाता के पास जो अभी ही बड़ी ही बहादुरी के साथ घटनास्थल पर मौजूद है l
भभूत लाल से - लाल अभी वहाँ के हालात कैसे है ? क्या वहाँ खड़ी भीड़ में से कोई भी इस बारें में कुछ बोलने के लिए तैयार है ?
संवाददाता- देखिये सर कहानी तो साधारण है लेकिन इस बारे में और जानने के लिए हम बात करते है यहाँ के स्थानीय निवासी से.l
सर क्या आप बताना चाहेंगे की इन सब के पीछे किसका हाथ है " संवाददाता ने वहाँ खड़े एक प्रत्यक्षदर्शी से पूछा l
क्या यार तुम मीडिया वाले भी न पीछे पड़ जाते हो चुपचाप नज़ारा देखो, पूरी जिन्दगी देखने को नहीं मिलेगी l देख तुने जो विडियो बनाया है न उसकी एक प्रति मुझे दे दे MMS बोल कर पैसा कमा लेंगे ( उस आदमी ने फुसफुसाते हुए कहा )
दर्शको आप देख सकते है की यहाँ का नज़ारा कैसा है यहाँ खड़े सारे लोग उत्साहित और आनंदित नज़र आ रहे है, क्या बूढे क्या बच्चे l
कैमरामैन रायेद के साथ मैं लाल श्री सिटी न्यूज़ के लिए l
भभूत - धन्यवाद लाल,
तो ये थे हमारे संवाददाता जो आपको पल पल की खबर दे रहे थे
दर्शको इस बिषय पर चर्चा करने के लिए अभी थोडी देर में स्टूडियो में मौजूद होंगी मशहूर मानवाधिकारी बरका नन्द, समाजशास्त्री रेयान शाह और महिला संगठन की प्रदेशअध्यक्ष श्रीमती नीना दास्वा l इसके साथ ही फोनलाइन पर इस बिषय पर चर्चा करने के लिए मौजूद होंगे हरामगंज के उपपुलिस निरीक्षक पांडवा l
इस बिषय पर हम थोडी देर में चर्चा करेंगे, फिलहाल समय हो रहा है एक छोटे से ब्रेक का l अगर आप मौजूद मेहमानों से कोई भी सवाल पूछना चाहते है हमें मैसेज भेज सकते है l
ब्रेक के बाद -
भभूत- दर्शको ब्रेक के बाद आप सबका स्वागत है हमारे चैनल पर, हरामगंज में हो रही घटना पर बात करने के लिए मौजूद मेहमानों का भी स्वागत है l
सर ये घटना जो हरामगंज में घटी है उस घटनास्थल से पुलिस चौकी कुछ ही दूर है फिर भी आपकी पुलिस टीम अभी तक नहीं पहुंची है, क्या आप इस बारे में कुछ कहना चाहेंगे l ( भभूत ने पांडवा से कहा )
देखिये हमारे पास खबर थी की शहर में बम फूटने वाले है तो हमारी पूरी फोर्स बम ढूंढने में लगी है l वैसे भी वो एक कॉलगर्ल है और ये उसका रोज का काम है l ( पांडवा ने कहा )
तो आपके कहने का ये मतलब है की लड़की अगर कॉलगर्ल हो तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के पास नहीं है l
पांडवा सर आपका बयान बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है, हम आपके खिलाफ कोर्ट में जायेंगे ( महिला संगठन की अध्यक्ष ने कहा )
धीरे धीरे चारों मेहमानों और समाचार प्रस्तोता के मिश्रित स्वर बिना नियंत्रण के बढ़ता रहा और झगडे का स्वरुप लेने लगा l
उधर संवाददाता भी बेवजह चिल्लाये जा रहा था l
विडियो अभी भी टीवी स्क्रीन पर आ रहा था जिसमे प्रसारित हो रहा था की कैसे खडी भीड़ उन गुंडों का साथ दे रही थी, लड़की ( मासूम, शायद वेश्या ना हो ) के निजी अंगो से छेड़छाड़ करने में l
"मम्मी ईई ईईई केबल वाले को बोलो की ये बकवास समाचार चैनल को बंद कर दे, हमे नहीं चाहिए l सोहम ने कहा जो काफी देर से उस बकवास को झेल रहा था l
फिर उसने केबल वाले को फोन लगाया और कहा " केबल वाले भैया ये चैनल को ब्लाक कर दो हमारे घर पर नहीं चलना चाहिए.
केबल वाले ने जबाब दिया- सोहम बेटे तुमने आज का अखबार नहीं पढ़ा क्या, हमारी न्यायपालिका ने आदेश जारी किया है की अगर आप कोई भी चैनल नहीं देखना चाहते है तो रिमोट है ना आपके हाथ में l
वैसे भी इस चैनल की बड़ी मांग है लोगो में क्योकि यही चैनल है जो सबसे ज्यादा दिखता है गरमा गरम...........
ब्रेकिंग न्यूज़

गुरुवार, 24 सितंबर 2009

लाश

सड़क के बीचो बीच एक लाश पड़ी है, वो लाश एक युवती की है जो कमसिन थी मरने के पहले, लेकिन वो सड़क पर पड़ी इक लावारिश लाश है I जिसके बदन पर चंद कपड़े चिथडों के रूप में आने जाने वालों पर हँस रहे है I
इस मुर्दा लाश को देखने के लिए सड़क पर भीड़ जमा थी वो भी लाशों की........ जिन्दा लाशों की !
सड़क पर जमा भीड़ की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी शानदार गाड़ियों में सुकून से बैठे हुए इलीट क्लास से लोगो को होती है जो बैठे तो एसी में होतें है लेकिन बार बार अपने चेहरे पर उभर कर आने वाले पसीने की बूंदों को पोछतें है I
ऐसे ही एक साहब भीड़ की वजह से परेशान दिखाई दे रहे है अपनी बेशकीमती कार के अंदर बेचैन से बैठे है I ये साहब इस इलाके में अपनी शानो शौकत और अपने शानदार बंगले की वजह से जाने जाते है और हाँ कभी कभी ये दान पुण्य भी कर लेते है,....
सेठ जी की चिंता बढती ही जा रही है, इन्हें अपने घर पहुँचने की जल्दी है पर सड़क पर जाम लगा हुआ है और उस जाम की वजह है वो लाश और उस लाश को देखने वालें जिन्दा लाशों की भीड़....
"सेठ जी झल्लाते हुए अपने ड्राईवर से" ड्राईवर जरा बाहर किकल कर देखो तो यहाँ इतनी भीड़ क्यूँ लगी है ( वैसे तो ड्राईवर सेठ जी से उम्र में दोगुने बड़े है लेकिन रसूख तो रसूख होता है भाई )
थोडी देर में ड्राईवर जब लौट कर आया तो काफी सहमा हुआ था I
डरते डरते उसने मालिक से कहा की साहब इक निवेदन है की आप एक बार उस लाश को देख लीजिये शायद कुछ याद आ जाये I
कुछ याद आ जाये से तुम्हारा क्या मतलब है ( सेठ ने झल्लाते हुए कहा )
सर एक बार कृपया कर आप देख लें ( ड्राईवर ने फिर निवेदन किया )
ड्राईवर के बार बार आग्रह करने के बाद सेठ ने सोचा की कुछ तो बात है, इक बार चल कर देखना चाहिए.....
खैर इस बार सेठ ने मना नहीं किया I
लेकिन जिस तेजी से वो गए थे उससे दोगुनी तेजी से हाँफते हुए वो वापस अपनी कार में दाखिल हो गये और बिना सांस लिए चिल्लाते हुए अपने ड्राईवर से बोले "तुमने उसे देखा..... मैं मैं..... इसके आगे उनके हलक से आवाज नहीं निकली I
ड्राईवर ने कहा "साहब ये वही लड़की है जो उस रात बारिश से बचने के लिए आपके बंगले में आई थी और आपने उसकी मजबूरी......... ( ड्राईवर ने चुप्पी साध ली )
एक ठंडी सांस लेने के बाद सेठ ने पूछा "आखिर इसकी मौत हुई तो कैसे ?
ड्राईवर ने कहा "साहब उस छोरी को एड्स की बिमारी थी उसकी रिपोर्ट उसके पास ही सड़क पर पड़ी है I चारों तरफ से दुत्कारे जाने के बाद से ही बेचारी रास्तों पर मारी मारी फिर रही थी I ( ड्राईवर की आँखों में आंसू आ गये )
इतना सुनते ही सेठ जी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया...( ड्राईवर अपनी धुन में बोले जा रहा था उसे खबर भी ना थी की....)
इक लाश सड़क के बीचो बीच पड़ी है उसे देखने के लिए लाशों की भीड़ भी खड़ी है लेकिन सड़क पर खड़ी शानदार कार के अंदर भी एक लाश पड़ी है, "सेठ जी की लाश" I ( ड्राईवर अभी भी बोले जा रहा है जैसे उसे कोई पुरस्कार मिलने वाला हो )

सोमवार, 7 सितंबर 2009

छाई तन्हाई है

आज फिर छाई तन्हाई है,
आज फिर याद आपकी आई है,
आज फिर हम उदास है,
आज फिर बुझे बुझे से प्यास है,
आज फिर आपकी बातें याद आती है,
आज फिर तन्हाई तडपाती है,
आज फिर आपको याद किया है,
आज फिर रब से फरियाद किया है,
आज फिर आप ख्वाबों में आये है,
आज फिर आपने अरमां जगाये है,
आज फिर तन्हाइयों के तूफ़ान आये है,
आज फिर ख्वाबून के आशियाँ बिखरे है,
आज फिर काश आप पास होतें,
आज फिर काश आपकी याद होती,
आज फिर जरुरत आपके दर्श की है,
आज फिर आपकी आवाज सुननी है,
आज फिर आपसे बातें करनी है,
आज फिर आपके साथ चलने की ख्वाहिश है,
आज फिर आपके साथ कुछ पल पल गुजारने है,
आज फिर जिन्दगी जी लेने की जरुरत है,
आज फिर कुछ पलों के लिए ही......जरुरत है.........

जरूरत ही क्या है

इस राह में कांटे इतने बिछे है, फूलों की जरूरत ही क्या है,
इस दिल में नश्तर इतने चुभें है, मरहम की जरुरत क्या ही है,
जब इक कली बेताब होती है, फूल बनने की राह पर चल देती है,
कितने कांटे कली की बिछे है राहों में, पूछने की जरुरत ही क्या है,
क्यूँ खामोश बैठा है आज ये नादान चचल भौंरा डाली पर,
खुद पर इतराती शोख कली को पूछने की जरुरत ही क्या है,
खामोश है दरिया, खामोश है पानी, ये अंबर, ये जमीं खामोश है,
खामोश है नज़ारें क्यों, किसी को पूछने की जरुरत ही क्या है,
गुजरता पल, आती निशा, डूबता सूरज, खामोश ये शमां क्यों है,
चाँद बुझा, चांदनी ढली क्यूँ , ये समझने की जरुरत ही क्या है,
मंद मंद हवा, ये गर्म दोपहर, क्यूँ तपता है ये सूरज,
क्यों जलता है ये परवाना, शमां को पूछने की जरुरत ही क्या है,
वो जोड़े हंसों के रागनियाँ गा रहे, जल क्रीडा करते हुए दूर जा रहे,
क्या वो बिछुड़ जायेंगे, विधाता से पूछने की जरुरत ही क्या है...

ना जाने

ना जाने कौन सा था वो पल,
जिस पल में तुम गये थे,
रौशनी से रोशन कर राहें मेरी,
अंधेरों में मुझे धकेल गये थे,
ना जाने कौन सा था वो पल,
जिस पल में तुम गम हो गये थे........
अब तो सहर भी शब से है भारी,
अब तो हर पल रहती है बेकरारी,
ना जाने कौन सा था वो लम्हा,
जिस पल में तुम चले गये थे....
खुले आँखे बोझिल पलकें,
रुत भी अब ग़मगीन है,
ना जाने कैसी थी वो रुत,
जिस रुत में गुमशुदा हो गये थे,
ना जाने......................

मैं लड़की और वो लड़का है

नयन अलग नहीं, रूप एक सा है,
सृजन है दोनों प्रकृति के,
अंतर क्या मैं लड़की और वो लड़का है,
मैं निरक्षर क्यूँ और वो पढता है,
अंतर क्या..........
बचपन साथ गुजरता, इक खून का रिश्ता बनता है,
आधार है दोनों इस जहां के,
जगत जननी के साथ ये दुर्व्यवहार क्यूँ है,
अंतर क्या....
नींव कमजोर हो गर तो शीर्ष कमजोर है,
जड़े गहरी है हमारी, हमें आगाज़ दो
निरक्षरता का अँधेरा भयावह है,
हमें ज्ञान का प्रकाश दो,
ग़लतफ़हमी है ये की,
मैं लड़की और वो लड़का है......

आँसू की बूंदे

पग पग पर बिखरी आँसू की बूंदे,
तेजाब बन जलायेगी हमें,
गर अनदेखा किया इन्हें,
कही सुकून ना लेने देंगी हमें,
उन्मुक्त वातावरण की बुलबुल,
ना गा सकेगी कैद में,
फिर कहाँ सुमधुर संगीत सुनाएगी हमें,
पग पग पर बिखरी.....
अकेलेपन का अहसास दिलायेंगी हमे,
जहन्नुम की ज्वाला बन जलायेगी हमें,
हरियाली बिन उजाड़ उपवन,
नारी बिन सूना है ये जग,
जब वो ना रहेंगे इस दुनिया में,
पग पग पर बिखरी.....
इक स्मृति बन रुलायेंगी हमें,
तेजाब बन जलायेगी हमें,
पग पग पर बिखरी.....

रविवार, 6 सितंबर 2009

तोहर गईया

बाबा तोहरे दुआरिये पे रहत रहुए एगो गईया रे,
कवन खूंटा बाँध दिहनी बाबा आपन गईया के,
बाबा तोहरे दुआरिये.....
गईया मांगले का बस दू गो रोटी,
अउर छोट मांगले से झोपड़ी,
ठौर ठिकाना दिहनी बाबा एगो कसईया के,
बाबा तोहरे दुआरिये.....
मंगनी बाबा बस तहार आसरा,
बच्च्वे से मिलल न माई के अंचरा,
बाबा जी ई का कईनी भेज देहनी बजरिया में.
बाबा तोहरे दुआरिये.....
अंसुओ ना निकले आँखवा सुजाइल बा,
सिसकी बंद बा करेजा में तीरवा बेधाइल बा,
बाबा जी कवन गलती कईलख गईय्या हो,
तकदीर में लिख देहल संग कसईया के,
बाबा तोहरे दुआरिये पे रहत रहुए एगो गईया रे,
कवन खूंटा बाँध दिहनी बाबा आपन गईया के..........

तोहर गईया

बाबा तोहरे दुआरिये पे रहत रहुए एगो गईया रे,
कवन खूंटा बाँध दिहनी बाबा आपन गईया के,
बाबा तोहरे दुआरिये.....
गईया मांगले का बस दू गो रोटी,
अउर छोट मांगले से झोपड़ी,
ठौर ठिकाना दिहनी बाबा एगो कसईया के,
बाबा तोहरे दुआरिये.....
मंगनी बाबा बस तहार आसरा,
बच्च्वे से मिलल न माई के अंचरा,
बाबा जी ई का कईनी भेज देहनी बजरिया में.
बाबा तोहरे दुआरिये.....
अंसुओ ना निकले आँखवा सुजाइल बा,
सिसकी बंद बा करेजा में तीरवा बेधाइल बा,
बाबा जी कवन गलती कईलख गईय्या हो,
तकदीर में लिख देहल संग कसईया के,
बाबा तोहरे दुआरिये पे रहत रहुए एगो गईया रे,
कवन खूंटा बाँध दिहनी बाबा आपन गईया के..........

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

कभी फुर्सत मिले

कभी फुर्सत मिले तो सोचना वो कौन था,
देकर तुम्हे जहां जाने कहाँ गया,
कभी फुर्सत मिले तो सोचना
तेरे आंसू जिसे चुभते थे नश्तर की तरह,
कभी पल मिले तो सोचना...
तेरी इक आहट उसकी चैन बन जाती थी,
कभी फुर्सत मिले तो सोचना..
बन के तेरा हमनवां रहता था तेरे आस पास.
कभी फुर्सत मिले तो सोचना,
क्या था वो,
जो बन कर दोस्त तुम्हारा, न बन सका जो,
कभी फुर्सत मिले तो सोचना,
कौन था वो,
जो साया बना तुम्हारा, न बन सका जो,
कभी फुर्सत मिले तो सोचना,
कैसा था वो,
जो तुम्हे याद कर के भी, न बस सका याद जो,
कभी फुर्सत मिले तो सोचना,
क्या चाहता था वो,
जो तेरा इंतजार करता, तेरे रस्ते पे, न बन सका तेरा जो,
कभी फुर्सत मिले तो सोचना.........

मैं नारी हूँ.

सदियों से सताई गई, जलाई गई, अग्नि परीक्षा देती,
मैं शकुन्तला, मैं सती, मैं ही सीता हूँ,
मैं नारी हूँ...
मैं जगत जननी हूँ, मैं विनाशनी हूँ,
मैं अर्धनारीश्वर की सहभागिनी हूँ,
मैं नारी हूँ....
अहिल्या की पवित्रता मैं, उमराव की पतिता मैं,
गंगा की निर्मल धारा मैं, काली की ज्वाला मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ......
पुरुष के ह्रदय का वात्सल्य मैं, पुरुष का अहम् मैं,
पुरुष के पुरुषत्व की पहचान मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ...
ब्रह्म की दुलारी मैं, विष्णु की प्यारी मैं,
परम शिव की अखंड शक्ति मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ...
माँ की ममता मैं, रिश्तों का अपनत्व मैं,
एक प्रेमी का प्रेम मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ...
सतयुग की शकुन्तला मैं, त्रेता की सीता मैं,
द्वापर की द्रौपदी मैं, कलयुग की कल्पना मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ....
सौन्दर्य की देवी मैं, प्रेम का प्रतीक मैं,
ज्ञान का अकूत भण्डार मैं, सर्व ह्रदय में बसी स्नेह मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ...
प्रेम में डूबी वैरागन मीरा मैं, विरह में तड़पती अभागन राधा मैं,
पंच वीरों की वीरता की पहचान पांचाली मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ...
मंदिरों में पूजी जाती देवी मैं, पैरों की ठोकर खाती दासी मैं,
सर्वत्र व्याप्त इस सृष्टि की अद्भुत सृजन मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ...
बीत गये जमाने, वो पल, गुजर गया इतिहास,
मैं रजिया सुल्ताना, मैं झांसी की रानी,
कवियों की कल्पना मैं ही हूँ,
मैं नारी हूँ......

शनिवार, 20 जून 2009

भँवरा

"वो कलियों को यौवन प्रदान करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
फूलों में सौन्दर्य की ढलान होती है,
वो अहदे शबाब को सलाम करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
वो पुष्प के सौन्दर्य को अलविदा कहते है,
वो काँटों से बेइंतहा प्यार भी करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
वो कलियों की इन्द्रधनुषी छटा का आभास भी कराते है,
वो कलियों की सौन्दर्यता का बखान भी करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
श्याम तन ये सोंचकर कली को प्यार करते है,
श्याम तन ही सही, कली को यौवन की बहार देते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
अनछुई नादान कली का रूप जगत में इस्त्काल करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll"
..................................................................

वो एक परी जैसी

अपनी तरफ़ से........
"काश वो सुहानी चाँदनी रात फिर लौट आती,
काश उसका दरश मेरी इन आंखों में रहता,
काश मैं उसके क़दमों में अपना सिर झुकता,
काश मैं ताउम्र उसका साथ पाता,
काश मैं अपलक उसे निहार पाता,
काश उसके हाथों में हाथ रखकर कुछ मांग पाता"
...........................................................................................................................
अपनी तरफ आते हुए मैंने उसे देखा l बड़ी मासूम, अत्यन्त सुंदर, बिल्कुल बेदाग़ चाँद की तरह, सितारों का आँचल ओढे दाहिने हाथ में पारिजात लिए, माथे पर कुमकुम की जगह मानो सूरज ने ले ली हो, इन्द्रधनुष के समान भौहे, पलक मानो शुकदेव की, आँखे मानो छैतिज रखे हुए श्वेत पदम के पंखुडी के ठीक बीचो बीच एक श्याम तन बैठा हो, गाल मानों उषाकाल का आकाश नवीनतम कोंपलों की भांति पतले एवं शशक के चमकीले लाल आँख की लालिमा लिए हुए होंठ से फैलती मुस्कराहट के बाद गुलाब के बीच का गाडापन मानों उसके गालों पर उतर आया हो, ग्रीवा मरार की भांति और उसके तारकमणि से सुसज्जित हार उसकी शोभा बढ़ा रही हो, वक्षस्थल पर कसाव से परिपूर्ण उभर लिए हुए उरोजों की थिरकन मानों दो समानांतर बयाँ चिडियों के घोसलों पर मंद मंद समीर के झोंकों का प्रभाव हो रहा हो, बाहें मानों चंदन के शाखाओं ने लता का रूप ले लिया हो, उदरप्रदेश में स्थित नाभि मानों केसर मिश्रित दुग्ध सरोवर में छोटा सा भंवर, कमर नागिन की लचक लिए हुए पैरों के चाप से सहस्त्रों झींगुरों की आवाज लिए सर से पांव तक उसका श्रृंगार करने में कुबेर के खजानें को खाली कर दिया गया हो, स्वंय महालक्ष्मी ने उसे सजाया हों, सुदूर स्थित धुंध को भेदती हुई वह अतिरमणी मेरे सम्मुख आ रुकी और मैं उसे अपलक देखता रहा l देखते ही देखते निशा का पथिक शशि एक छितिज से दुसरे छितिज का सफर तय कर चुका था l बिहग नीड़ छोड़ने ही वाले थे, कलरव मचने ही वाली थी, उषाकाल की किरणें धरा पर बिखरने ही वाली थी कि अचानक उसने प्रजापति के सुनहले पंखों की भांति अपने पंखों को फैला कर मुझे आश्चर्यचकित कर दिया l सुदूर जाते हुए बिदु मात्र बिम्ब को मैं भींगे पलकों से अपलक देखते रह गया l वो दुबारा नही आई मगर उसकी छवि आज भी धुंधली नही हुई l
...................................................................................................................................................................
"देखकर प्यारी सी परी को उसमे पुर्णतः मग्न हो गया,
और ये भूल गया की परियों को पंख भी होतें हैं l "

मेरा दर्द...................

"दर्द ही दर्द है दिल में, दर्द से ही हम बने है,
दर्द बाकि ना रहे कोई, दर्द की चाह हममें है,
दर्द ही दर्द है .....................
दर्द गैरों ने दिया, दर्द अपनों ने दिया,
दर्द अरमानों ने दिया, दर्द सपनों ने दिया,
इस दर्द में कितना मज़ा है, दर्द हम पीते है,
दर्द बाकि ना रहा.....
दर्द हमारे है, ये दर्द तुम्हारे है,
इन दर्दों में फर्क सारे है,
इस दर्द में कितना दर्द है, दर्द हम जीते है,
दर्द बाकि न रहे कोई.....
दर्द से बनता है, इक दर्द का रिश्ता,
कितना गहरा होता है, ये सर्द सा रिश्ता,
मुझे दर्द की ज़रूरत है, मैं दर्द ही माँगता हूँ,
दर्द बाकि न रहे कोई, दर्द की चाह हममें है ll
दर्द ही दर्द है दिल में........................."

खंड खंड में

"कितना तन्हा तन्हा आज मैं महसूस करता हूँ,
गम के अँधेरे साये में जीने की कोशिश करता हूँ,
किसी के संग था मैं इन अँधेरी राहों में,
बिछड़ गया वो हमसफ़र आज मुझसे,
उस हमदम को तलाशने की कोशिश करता हूँ,
कितना तन्हा तन्हा आज मैं महसूस करता हूँ ll"
............................................................................................
"आपकी मुस्कराहट में लुटा है हमें, की हम मुस्कुराना भूल गए,
आपकी यादों ने सताया है हमे, की हम रातों में सोना भूल गए,
जाने क्या क्या भूलेंगे हम आपके बाद, जबसे आप हमे भूल गए ll"
.............................................................................................
"ख़ुशी की चाह में निकले तो मिले गम हमें,
ख़ुशी बाँटते रहे फिर भी मिले गम हमें,
इतने गम मिले की लगने लगे कम हमें,
आपने अपना गम न दिया ये न रहे गम हमें,
अगर आप न मुस्कुराये तो रहेगा ताउम्र ये गम हमें ll ....."
..............................................................................................
कुछ अनकही सी बातें अनजाने में इन निगाहों ने कह दिया,
फजाओं में जलने को परवाने से अनजाने में शमा ने कह दिया,
हम आपको याद ना करे, रब से फरियाद ना करे की,
आप हमारे ख्वाबों में आयें, ये आप से किसने कह दिया ll
.......................................................................................

Gloomy day

Gloomy day,
It's a gloomy day,
for me,
a gloomy day,
gloomy day a gloomy day,
when i used to love everyone,
when i used to like everyone,
I wanted someone loves me,
but no'one wants me,
but no one loves me,
Glooooomy day iiiiiiiiii
For me................
a gloomy day,
Gloomy day a gloomy day,
gloomy day wanna kill me,
gloomy day wanna haunt me,
It's gloomy day.............
Foooooooor me........
a black day,
a painfull for me...
gloomy day...
wanna just take my life..
my tears like fire for me,
Cuzzzzzzz.....
It's a gloomy day..,
A painful glooomy day,
For meeeeeeeeeeeeee....

क्या ख़ुशी .......

क्या ख़ुशी क्या हंसी,
एक धुआं है जिन्दगी,
तुम नहीं पास मेरे,
जीने का कोई आसरा नहीं...
क्या ख़ुशी .......
महफ़िल में तन्हाई,
दिल में है गम,
आँख में आंसू नहीं,
क्या ख़ुशी.........
याद तुम्हारी आई,
दूर हो तुम किसे देखे,
पास कोई तस्वीर नहीं,
क्या ख़ुशी......
राह में अकेले चलते है,
अपनी मंजिल तलाशने को,
साथ अपने कोई साथी नहीं,
क्या ख़ुशी क्या हंसी......
एक धुआं है जिन्दगी ...........

एक दास्ताँ शमां और परवाने की चाहतों की

शमां ने पूछा परवाने से तू क्यूँ जल रहा है,
परवाना बोला जादू ये तेरे इश्क का है,
शमा बोली ग़लतफ़हमी है, तेरे लिए नहीं है प्यार मेरा,
उदास परवाने ने पूछा, बताओ भला कौन है प्यार तेरा,
शमा बोली जलाना मेरी फितरत और अदा है,
जलना परवाने तेरे लिए मज़बूरी और सजा है,
खता तेरी नहीं परवाने ये मेरे रूप का असर है,
तू अकेला नहीं है मेरे आशिकों में,
देख तेरे पीछे जान देने को इक भीड़ खडी है,
उदास परवाने ने कहा, सच्चा प्यार बेवफा का इल्जाम नहीं देता,
तभी तो मरकर भी वो अपने सच्चे प्यार का एहसास नहीं देता"
..."देखती रह गयी शमां परवाने को मरते हुए,
पर चाह कर भी उसकी आँखों से आंसू न निकले"....

कन्हईया......तोहरी मईया

कन्हईया रोवत होवेगी दुआरे तोहरी मईया,
कन्हईया रोवत.....................
नयन द्वय अश्रुं के दर बने होंगे,
अचरा में अश्रुं बटोरत होवेगी तोहरी मईया,
कन्हईया रोवत.....................
सुने लागत होंगे बाग़ सारे, कोयलिया भी न होगी,
अंगना में.. नीर बहावत होवेगी तोहरी गईया,
कन्हईया रोवत......................
अब न हिलोर मारेगी जमुना मईया,
कईसे पुकारेगी तोहे कदम्ब की छईया,
कन्हईया रोवत.....................
प्रेम अभागन राधा रानी, प्रेम बैरागन मीरा दीवानी,
राह तकत होवेगी फैलाकर अपनी बईयाँ,
कन्हईया रोवत.....................
गोकुल छुट गयो, दर से दूर भयो,
कईसे लेगी मईया तोहरी बलईया,
कन्हईया रोवत होवेगी दुआरे तोहरी मईया,

खंड खंड में

"रुकसत किया अपने कूंचे से यूँ,
रुकसत हुए उनके कूंचे से यूँ,
कल भी हम कांधों पर थे,
आज भी हम कांधों पर है,
कल सब हँसते हम रोते थे,
आज हम हंस रहे, सब रोते क्यूँ,
बिलखती अम्मा अंखिया बापू की नम क्यूँ,
रोते तो कल भी सारे,आंसुओं में आज इतनी नमी क्यूँ,
रुकसत हो रहे उनकी गलियों से, कोई गिला नही,
दर्दे जिगर दिया गर, खता हुई सजा और भी मिले ll"
...................................................................................
"तोड़ो ना इतना हमें,
हम प्यार करने लगे,
देखों ना इस कदर हमें,
हम ऐतबार करने लगे,
रुकसत करो मुस्कां संग
अश्कों संग ना,
कही तेरे कंगन पैरों की,
बेडियाँ ना बन जाए,
याद करो, याद इस तलक करो,
की हमारी लाश ना कहीं आए,
भरोसा है गर, भरोसा है,
हम पर, वादा रहा,
ना लौट सकें गर, लौटें तो कांधों पर आयें ll"
...........................................................................................
"तेरी आँखों से छलकता प्यार खौफनाक एहसास देता है,
प्यार तेरे प्यार अन्दर तक डरा देता है,
समंदर की गहराइयों का खौफ नही है मुझे,
तेरे आँखों का सागर हमको डूबा देता है,
स्याह शब् की खामोशी खौफ नही देती,
तेरे साथ तन्हाई रूह को डरा देती है,
तेरी आँखों से छलकता प्यार खौफनाक एहसास देता है..............
निगाहें जब टकराई तेरी निगाहों से,
कोई एहसास दिल में ना जगी,
तेरी आँखों से छलकता इतना प्यार देख,
कयामत तलक रूह मेरी काँप गई ll"

कागज़ की कश्ती

"कागज़ की कश्ती बन बह जाए जिंदगी,
गम के सागर में तूफां कभी आतें नही,
साहिल पर बैठी सोच रही है जिंदगी,
गम के सागर में क्या खुशी मिलती नही,
कागज़ की कश्ती.......
गेसुओं के रंगों में छिपती सांझ की दुल्हन,
खिलते चेहरों के आँखों का ये सूनापन,
तस्वीरों के रंगों से छलकता ये अधूरापन,
हमको किस मोड़ पर लायी ये आवारगी,
कागज़ की कश्ती.......
सपने देखती उजडे बागों की कलियाँ,
पतझड़ बाद पत्तियों में आई ये शोखियाँ,
बसंत के इंतज़ार में बैठी कोयल की तन्हाईयाँ,
देख कर सोंचती है खुदाई ये खुदा की,
गम के सागर में................
अटखेलियाँ करती लहरें वो सागर की,
लहरों से दूर उछलते घर वो मोतियों के,
आशियाना उजाड़ जाता है जिनका जहां में,
किस्मत भी हर किसी के साथ करती है ये दिल्लगी,
साहिल पर बैठी.............
गम के सागर में तूफां कभी आतें नही,
कागज़ की कश्ती बन बह जाए जिंदगी ll"

चंद लम्हें

"चंद लम्हों में मिलती नही यहाँ किसी को खुशियाँ
चंद लम्हों में छीन जाती है किसी से यहाँ दुनिया,
चंद लम्हों का ये खेल भी अज़ब होता है,
चंद लम्हों में कोई पता कोई खोता है,
चंद लम्हों में मिलती .........
चंद लम्हों में रांझा बिछडा हीर से,
चंद लम्हों में मजनूँ हारा तकदीर से,
चंद लम्हों में फ़रहाद की जाँ छीन गई,
चंद लम्हों में रोमियों की साँस थम गई,
चंद लम्हों का ये खेल..........
चंद लम्हों में ही हम क्या से क्या हुए,
चंद लम्हों में ही हम बेवफा हुए,
चंद लम्हों में ही छीन गई हमसे खुशियाँ,
चंद लम्हों में ही लुट गयी हमारी दुनिया,
चंद लम्हों में ही हम उनसे जुदा हुए,
चंद लम्हों का ये खेल .......
चंद लम्हों में ही हमें हुस्न के जलवे मिले,
चंद लम्हों में ही हमें मौत के फतवे मिले,
चंद लम्हों में मिली खुशी जिन्दगी बनाती है,
चंद लम्हों में ही किसी को तन्हा कर जाती है,
चंद लम्हों में मिली मरने की खुशी,
चंद लम्हों में जीने की आस धूमिल हुई,
चंद लम्हों का ये खेल .............
चंद लम्हों में कोई ........
चंद लम्हों में मिलती नही यहाँ किसी को खुशियाँ II"

शुक्रवार, 8 मई 2009

आखिर कब तक

आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा जिसको मन करता है वो देश के इज्ज़त की धज्जिया उडाता है l हम बात कर रहे है बॉलीवुड को अपराध जगत के किस्से सुनाने वाले राम गोपाल वर्मा की जिसने अपनी अपनी नयी रचना ( या कहे बकवास ) में देश का अपमान किया है और इसमें उनका साथ सदी के महानायक ने दिया है जी हाँ ठीक समझा बिग बी ने, इन दोनों ने मिल कर अपनी आने वाली फिल्म रण में राष्ट्रगान का अपमान किया है l ( http://tiny.cc/Ran266 ) इस फिल्म में राष्ट्रगान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है या यूँ कहे तो इसका पुनर्लेखन (?), क्या इस फिल्म में अभिनय करते समय महानायक के अंदर देशभक्ति सो रही थी या नोटभक्ति जाग रही थी l इन्सान पैसे के पीछे अपना इमान, अपना देश और उसकी इज्ज़त सब कुछ नीलाम कर देता है ये सब कुछ हमारे देश में होता है, फिर भी हम खुद को महान समझते और खुद पर गर्व करते है l जिस देश में तिरंगा ( जिसे हम राष्ट्रीय ध्वज कहते है ) का अपमान वो करता है जो खुद सम्मानित है तो ऐसे देश का भगवान ही मालिक है ?
लेकिन वो तो कैलाश पर ध्यान लगा कर बैठा है और हमारी मजबूरी ये है की हम वहां जा नही सकते क्यूँ (?)
क्यूँ की वीसा नहीं है भाई l