सोमवार, 7 सितंबर 2009

छाई तन्हाई है

आज फिर छाई तन्हाई है,
आज फिर याद आपकी आई है,
आज फिर हम उदास है,
आज फिर बुझे बुझे से प्यास है,
आज फिर आपकी बातें याद आती है,
आज फिर तन्हाई तडपाती है,
आज फिर आपको याद किया है,
आज फिर रब से फरियाद किया है,
आज फिर आप ख्वाबों में आये है,
आज फिर आपने अरमां जगाये है,
आज फिर तन्हाइयों के तूफ़ान आये है,
आज फिर ख्वाबून के आशियाँ बिखरे है,
आज फिर काश आप पास होतें,
आज फिर काश आपकी याद होती,
आज फिर जरुरत आपके दर्श की है,
आज फिर आपकी आवाज सुननी है,
आज फिर आपसे बातें करनी है,
आज फिर आपके साथ चलने की ख्वाहिश है,
आज फिर आपके साथ कुछ पल पल गुजारने है,
आज फिर जिन्दगी जी लेने की जरुरत है,
आज फिर कुछ पलों के लिए ही......जरुरत है.........

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