शनिवार, 20 जून 2009

मेरा दर्द...................

"दर्द ही दर्द है दिल में, दर्द से ही हम बने है,
दर्द बाकि ना रहे कोई, दर्द की चाह हममें है,
दर्द ही दर्द है .....................
दर्द गैरों ने दिया, दर्द अपनों ने दिया,
दर्द अरमानों ने दिया, दर्द सपनों ने दिया,
इस दर्द में कितना मज़ा है, दर्द हम पीते है,
दर्द बाकि ना रहा.....
दर्द हमारे है, ये दर्द तुम्हारे है,
इन दर्दों में फर्क सारे है,
इस दर्द में कितना दर्द है, दर्द हम जीते है,
दर्द बाकि न रहे कोई.....
दर्द से बनता है, इक दर्द का रिश्ता,
कितना गहरा होता है, ये सर्द सा रिश्ता,
मुझे दर्द की ज़रूरत है, मैं दर्द ही माँगता हूँ,
दर्द बाकि न रहे कोई, दर्द की चाह हममें है ll
दर्द ही दर्द है दिल में........................."

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