शनिवार, 20 जून 2009

एक दास्ताँ शमां और परवाने की चाहतों की

शमां ने पूछा परवाने से तू क्यूँ जल रहा है,
परवाना बोला जादू ये तेरे इश्क का है,
शमा बोली ग़लतफ़हमी है, तेरे लिए नहीं है प्यार मेरा,
उदास परवाने ने पूछा, बताओ भला कौन है प्यार तेरा,
शमा बोली जलाना मेरी फितरत और अदा है,
जलना परवाने तेरे लिए मज़बूरी और सजा है,
खता तेरी नहीं परवाने ये मेरे रूप का असर है,
तू अकेला नहीं है मेरे आशिकों में,
देख तेरे पीछे जान देने को इक भीड़ खडी है,
उदास परवाने ने कहा, सच्चा प्यार बेवफा का इल्जाम नहीं देता,
तभी तो मरकर भी वो अपने सच्चे प्यार का एहसास नहीं देता"
..."देखती रह गयी शमां परवाने को मरते हुए,
पर चाह कर भी उसकी आँखों से आंसू न निकले"....

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