गुरुवार, 24 सितंबर 2009

लाश

सड़क के बीचो बीच एक लाश पड़ी है, वो लाश एक युवती की है जो कमसिन थी मरने के पहले, लेकिन वो सड़क पर पड़ी इक लावारिश लाश है I जिसके बदन पर चंद कपड़े चिथडों के रूप में आने जाने वालों पर हँस रहे है I
इस मुर्दा लाश को देखने के लिए सड़क पर भीड़ जमा थी वो भी लाशों की........ जिन्दा लाशों की !
सड़क पर जमा भीड़ की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी शानदार गाड़ियों में सुकून से बैठे हुए इलीट क्लास से लोगो को होती है जो बैठे तो एसी में होतें है लेकिन बार बार अपने चेहरे पर उभर कर आने वाले पसीने की बूंदों को पोछतें है I
ऐसे ही एक साहब भीड़ की वजह से परेशान दिखाई दे रहे है अपनी बेशकीमती कार के अंदर बेचैन से बैठे है I ये साहब इस इलाके में अपनी शानो शौकत और अपने शानदार बंगले की वजह से जाने जाते है और हाँ कभी कभी ये दान पुण्य भी कर लेते है,....
सेठ जी की चिंता बढती ही जा रही है, इन्हें अपने घर पहुँचने की जल्दी है पर सड़क पर जाम लगा हुआ है और उस जाम की वजह है वो लाश और उस लाश को देखने वालें जिन्दा लाशों की भीड़....
"सेठ जी झल्लाते हुए अपने ड्राईवर से" ड्राईवर जरा बाहर किकल कर देखो तो यहाँ इतनी भीड़ क्यूँ लगी है ( वैसे तो ड्राईवर सेठ जी से उम्र में दोगुने बड़े है लेकिन रसूख तो रसूख होता है भाई )
थोडी देर में ड्राईवर जब लौट कर आया तो काफी सहमा हुआ था I
डरते डरते उसने मालिक से कहा की साहब इक निवेदन है की आप एक बार उस लाश को देख लीजिये शायद कुछ याद आ जाये I
कुछ याद आ जाये से तुम्हारा क्या मतलब है ( सेठ ने झल्लाते हुए कहा )
सर एक बार कृपया कर आप देख लें ( ड्राईवर ने फिर निवेदन किया )
ड्राईवर के बार बार आग्रह करने के बाद सेठ ने सोचा की कुछ तो बात है, इक बार चल कर देखना चाहिए.....
खैर इस बार सेठ ने मना नहीं किया I
लेकिन जिस तेजी से वो गए थे उससे दोगुनी तेजी से हाँफते हुए वो वापस अपनी कार में दाखिल हो गये और बिना सांस लिए चिल्लाते हुए अपने ड्राईवर से बोले "तुमने उसे देखा..... मैं मैं..... इसके आगे उनके हलक से आवाज नहीं निकली I
ड्राईवर ने कहा "साहब ये वही लड़की है जो उस रात बारिश से बचने के लिए आपके बंगले में आई थी और आपने उसकी मजबूरी......... ( ड्राईवर ने चुप्पी साध ली )
एक ठंडी सांस लेने के बाद सेठ ने पूछा "आखिर इसकी मौत हुई तो कैसे ?
ड्राईवर ने कहा "साहब उस छोरी को एड्स की बिमारी थी उसकी रिपोर्ट उसके पास ही सड़क पर पड़ी है I चारों तरफ से दुत्कारे जाने के बाद से ही बेचारी रास्तों पर मारी मारी फिर रही थी I ( ड्राईवर की आँखों में आंसू आ गये )
इतना सुनते ही सेठ जी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया...( ड्राईवर अपनी धुन में बोले जा रहा था उसे खबर भी ना थी की....)
इक लाश सड़क के बीचो बीच पड़ी है उसे देखने के लिए लाशों की भीड़ भी खड़ी है लेकिन सड़क पर खड़ी शानदार कार के अंदर भी एक लाश पड़ी है, "सेठ जी की लाश" I ( ड्राईवर अभी भी बोले जा रहा है जैसे उसे कोई पुरस्कार मिलने वाला हो )

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