शनिवार, 20 जून 2009

खंड खंड में

"रुकसत किया अपने कूंचे से यूँ,
रुकसत हुए उनके कूंचे से यूँ,
कल भी हम कांधों पर थे,
आज भी हम कांधों पर है,
कल सब हँसते हम रोते थे,
आज हम हंस रहे, सब रोते क्यूँ,
बिलखती अम्मा अंखिया बापू की नम क्यूँ,
रोते तो कल भी सारे,आंसुओं में आज इतनी नमी क्यूँ,
रुकसत हो रहे उनकी गलियों से, कोई गिला नही,
दर्दे जिगर दिया गर, खता हुई सजा और भी मिले ll"
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"तोड़ो ना इतना हमें,
हम प्यार करने लगे,
देखों ना इस कदर हमें,
हम ऐतबार करने लगे,
रुकसत करो मुस्कां संग
अश्कों संग ना,
कही तेरे कंगन पैरों की,
बेडियाँ ना बन जाए,
याद करो, याद इस तलक करो,
की हमारी लाश ना कहीं आए,
भरोसा है गर, भरोसा है,
हम पर, वादा रहा,
ना लौट सकें गर, लौटें तो कांधों पर आयें ll"
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"तेरी आँखों से छलकता प्यार खौफनाक एहसास देता है,
प्यार तेरे प्यार अन्दर तक डरा देता है,
समंदर की गहराइयों का खौफ नही है मुझे,
तेरे आँखों का सागर हमको डूबा देता है,
स्याह शब् की खामोशी खौफ नही देती,
तेरे साथ तन्हाई रूह को डरा देती है,
तेरी आँखों से छलकता प्यार खौफनाक एहसास देता है..............
निगाहें जब टकराई तेरी निगाहों से,
कोई एहसास दिल में ना जगी,
तेरी आँखों से छलकता इतना प्यार देख,
कयामत तलक रूह मेरी काँप गई ll"

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