सोमवार, 7 सितंबर 2009

मैं लड़की और वो लड़का है

नयन अलग नहीं, रूप एक सा है,
सृजन है दोनों प्रकृति के,
अंतर क्या मैं लड़की और वो लड़का है,
मैं निरक्षर क्यूँ और वो पढता है,
अंतर क्या..........
बचपन साथ गुजरता, इक खून का रिश्ता बनता है,
आधार है दोनों इस जहां के,
जगत जननी के साथ ये दुर्व्यवहार क्यूँ है,
अंतर क्या....
नींव कमजोर हो गर तो शीर्ष कमजोर है,
जड़े गहरी है हमारी, हमें आगाज़ दो
निरक्षरता का अँधेरा भयावह है,
हमें ज्ञान का प्रकाश दो,
ग़लतफ़हमी है ये की,
मैं लड़की और वो लड़का है......

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