गुरुवार, 1 मार्च 2012

तीन रंगों का कफ़न


मेरे सीने पे छुरियाँ चल जाती है,
जब भी किसी के शहीद होने की खबर आती है,
कतरा कतरा अश्क की जगह खून बहता है,
अब रोता हुआ मेरा ह्रदय कहता है,
कौन दे इन आहो का हिसाब,
की हर दिन ये देश एक वीर योद्धा खोता है,
छल प्रपंच और बेईमानी का बोलबाला है,
हर वीर के ह्रदय में प्रज्जवलित ज्वाला है,
पर वो बंधनों में लिपटा है कफ़न में लिपटा है,
कौन दे बेबसियों का हिसाब,
की हर दिन ये देश एक वीर खोता है,
अब रोता हुआ मेरा ह्रदय कहता है,
तीन रंगों का कफ़न भी बेरंग लगता है,
जब पार्थिव शरीर इसमें लिपटा होता है,
की हर दिन ये देश एक वीर खोता है,
माँ जननी का एक सपूत खोता है,
जागो गहरी निद्रा में सोने वालो,
की कुम्भ्करनी नींद फिर नसीब ना होगी,
जब वो ना होंगे हमें खुशियाँ नसीब ना होगी,
ना होली के रंग होंगे ना देहरी पर दिए जलेंगे,
कौन दे माँ के अश्कों का हिसाब,
की हर दिन ये देश एक वीर खोता है,
अब रोता हुआ वृद्ध हिमालय कहता है.
तीन रंगों का कफ़न भी बेरंग लगता है,
की हर दिन ये देश एक वीर खोता है......