शनिवार, 20 जून 2009

भँवरा

"वो कलियों को यौवन प्रदान करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
फूलों में सौन्दर्य की ढलान होती है,
वो अहदे शबाब को सलाम करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
वो पुष्प के सौन्दर्य को अलविदा कहते है,
वो काँटों से बेइंतहा प्यार भी करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
वो कलियों की इन्द्रधनुषी छटा का आभास भी कराते है,
वो कलियों की सौन्दर्यता का बखान भी करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
श्याम तन ये सोंचकर कली को प्यार करते है,
श्याम तन ही सही, कली को यौवन की बहार देते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll
अनछुई नादान कली का रूप जगत में इस्त्काल करते है,
जाने क्यों लोग भंवरों को बदनाम करते है ll"
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9 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

bahut utkrisht rachna .

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

shubhkamnayen.swagat.

Shashi Kant Singh ने कहा…

Aapki rachna padh ke achchha laga
swagat hai aapka

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

आपका स्वागत है। अच्छी बानगी पेश की है आपने। साधुवाद।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

bhanvara beiman,kabhee is ful par kabhee us ful par.narayan narayan

gazalkbahane ने कहा…

ब्लॉग जगत पर पहला कदम रखने प्र स्वागत-यह दुनिया यानि ब्लॉगिंग की दुनिया भी हमारी पुरानी दुनिया सरीखी ही सुन्दर,अलबेली व कभी-कभी बेरहम भी लगेगी-बस अपनी पसन्द के साथी चुने या फ़िर यहां भी एकाकी चलें


‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
इस गज़ल को पूरा पढें यहां
श्याम सखा ‘श्याम’

http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें
word veri...यानि यह कमेन्ट बैरी हटाएं

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई

मीडिया दूत ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है.....

Kumar Dev ने कहा…

मेरी हौसला अफजाई करने के लिए आप सबों को कोटि कोटि धन्यवाद,
मैं कुछ समय से सिस्टम से दूर था, हालाँकि ये रचना इतनी बढ़िया भी नहीं है लेकिन पिछले 9 सालों में पहली बार इतने लोगों की टिप्पणी मिली,
धन्यवाद इक बार फिर से ...............