शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

एक अरसा गुजर गया..........

कुल दो बरस ही तो गुजरे है,
पर लगता है,
की एक अरसा गुजर गया,
तेरी छुअन का एहसास अब तक महक रहा है,
कल तेरी तस्वीर देखी,
अनजाने में ही दर्द के दरिया में,
डूबने उभरने लगे हम,
नही मालूम तेरे सफर के बारे में,
तू कितना बदल गया है,
ये भी एहसास नही है मुझे,
पर मेरा सफर तो बस तुझसे ही था,
मेरा भ्रम, संयम, खुशी और गम,
सब कुछ तुझसे ही तो था,
रूबरू होने के मौके नही है,
मेरे पास अब,
तेरी तस्वीर ही है अब,
तेरा पता नही है,
किस शहर, किस गली में,
जाने कौन से डगर,
कहाँ खोजूँ तुझे,
किससे पूछूँ पता तेरा,
कोई तुझे वैरागन,
कोई जोगन,
कोई तुझे मीरा कहता है,
फकीरों की टोली में,
या मंदिरों में देखता है,
मुझे पता है तेरी तलाश क्या है,
पर तू तो मेरी तलाश है,
की एक अरसा गुजर गया,
तू देव को आज भी याद है................

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