रविवार, 27 नवंबर 2011
मैं तन्हा ही सही
मैं तन्हा ही सही पर ऐ जाने हसीं,
तू पास आने की कोशिश ना कर,
ये दिल टुटा ही सही पर ऐ जाने हसीं,
तू दिल बहलाने की कोशिश ना कर,
माना लाख कांटे है मेरी राहों में,
तू कलियाँ बिछाने को कोशिश ना कर,
खिली चांदनी पूनम की रात में,
तू मेरा दिल जलाने की कोशिश ना कर,
बहुत बेरहम हूँ, जंगली सा हूँ मैं,
तू मुझे इंसान बनाने की कोशिश ना कर,
माना रहमदिल सही तू इस ज़माने में,
तू मुझ पर रहम दिखाने की कोशिश ना कर,
ज़ख्म हज़ार लगे है वफ़ा में इस जिगर पे,
तू ज़ख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश ना कर,
मैं तन्हा ही सही पर ऐ जाने हसीं,
तू मेरी जिंदगी में आने कोशिश ना कर............
दास्ताँ ऐ परवाना
शमां ने पूछा परवाने से तू क्यूँ जल रहा है...
परवाना बोला जादू ये तेरे इश्क का है..
शमां बोली ग़लतफ़हमी है, तेरे लिए नही है प्यार मेरा...
उदास परवाने ने पूछा बता भला कौन है प्यार तेरा...
शमां बोली जलाना मेरी फितरत और अदा है...
मरना परवाने तेरी मजबूरी और सजा है....
खता तेरी नहीं, परवाने मेरे रूप का असर है...
तू अकेला नही मेरे आशिकों में...
पीछे जान देने को जहान है...
उदास परवाने ने कहा, सच्चा प्यार बेवफा का इलज़ाम नही देता..
तभी तो मरकर भी वो अपने सच्चे प्यार का एहसास नही देता...
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