रविवार, 27 नवंबर 2011
मैं तन्हा ही सही
मैं तन्हा ही सही पर ऐ जाने हसीं,
तू पास आने की कोशिश ना कर,
ये दिल टुटा ही सही पर ऐ जाने हसीं,
तू दिल बहलाने की कोशिश ना कर,
माना लाख कांटे है मेरी राहों में,
तू कलियाँ बिछाने को कोशिश ना कर,
खिली चांदनी पूनम की रात में,
तू मेरा दिल जलाने की कोशिश ना कर,
बहुत बेरहम हूँ, जंगली सा हूँ मैं,
तू मुझे इंसान बनाने की कोशिश ना कर,
माना रहमदिल सही तू इस ज़माने में,
तू मुझ पर रहम दिखाने की कोशिश ना कर,
ज़ख्म हज़ार लगे है वफ़ा में इस जिगर पे,
तू ज़ख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश ना कर,
मैं तन्हा ही सही पर ऐ जाने हसीं,
तू मेरी जिंदगी में आने कोशिश ना कर............
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